दिल्ली थ्रू द एजेस: द मेकिंग ऑफ इट्स अर्ली मॉडर्न हिस्ट्री | Delhi Through the Ages: The Making of its Early Modern History in Hindi
‘दिल्ली थ्रू द एजेस: द मेकिंग ऑफ़ इट्स अर्ली मॉडर्न हिस्ट्री’ एक पाठ्यक्रम है. इसका मकसद, छात्रों को दिल्ली शहर में 18वीं शताब्दी तक हुए बदलावों के बारे में बताना है. साथ ही, यह भी बताना है कि कैसे यह दुनिया के सबसे बड़े शहरों में से एक बना.
इस पाठ्यक्रम में, इन बातों पर चर्चा की जाती है:
- 18वीं शताब्दी में दिल्ली के सामाजिक-सांस्कृतिक हतोत्साहित करने वाले कारकों से मुगल साम्राज्य के “पाटन” की समझ
- दिल्ली के इतिहास में प्रारंभिक आधुनिक काल के महत्व
- दिल्ली के शहर के इतिहास में प्रारंभिक आधुनिक युग के महत्व
दिल्ली के बारे में कुछ और बातें:
- दिल्ली शब्द “ढिल्लिका” से लिया गया है.
- दिल्ली को सात बार नष्ट किया गया और फिर से बनाया गया.
- अनंगपाल तोमर ने 1052 में दिल्ली की स्थापना की थी.
- दिल्ली के तोमर राजवंश की स्थापना 8वीं शताब्दी की शुरुआत में हुई थी.
- दिल्ली को देहली, दिल्ली, और ढिल्ली जैसे नामों से भी जाना जाता है.
इंद्रप्रस्थ के अध्ययन के हलए उपलब्ध सणहहहययक और पुरणतणहयवक स्रोतों कण परीक्षर् कीहिए
Examine the literary and archaeological sources available for the study of Indraprastha
Ans:
इंद्रप्रस्थ के अध्ययन के लिए उपलब्ध स्रोतों का परीक्षण
इंद्रप्रस्थ प्राचीन भारत की एक प्रमुख नगरी थी। यह कुरुक्षेत्र के निकट स्थित थी और इसकी स्थापना पांडवों ने की थी। इंद्रप्रस्थ का अध्ययन करने के लिए विभिन्न प्रकार के स्रोत उपलब्ध हैं। इनमें पुरातात्विक स्रोत, साहित्यिक स्रोत और पुराण शामिल हैं।
पुरातात्विक स्रोत
इंद्रप्रस्थ के अध्ययन के लिए सबसे महत्वपूर्ण स्रोत पुरातात्विक स्रोत हैं। इनमें खुदाई से प्राप्त अवशेष, अभिलेख और सिक्के शामिल हैं। इंद्रप्रस्थ में कई पुरातात्विक स्थल हैं जिनसे महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। इनमें कुरुक्षेत्र के निकट स्थित धौलावीरा, लौह अयस्क के खान, हस्तिनापुर और पुराना किला शामिल हैं।
धौलावीरा एक प्राचीन बौद्ध स्थल है। यहां से प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि इंद्रप्रस्थ में एक समृद्ध बौद्ध संस्कृति थी। लौह अयस्क के खानों से पता चलता है कि इंद्रप्रस्थ एक महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र था। हस्तिनापुर में प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि इंद्रप्रस्थ की स्थापना पांडवों ने की थी। पुराना किला में प्राप्त अवशेषों से पता चलता है कि इंद्रप्रस्थ का विस्तार मुगल काल में हुआ था।
साहित्यिक स्रोत
इंद्रप्रस्थ के अध्ययन के लिए साहित्यिक स्रोत भी महत्वपूर्ण हैं। इनमें महाभारत, रामायण, पुराण और अन्य प्राचीन ग्रंथ शामिल हैं। महाभारत में इंद्रप्रस्थ का वर्णन एक भव्य नगरी के रूप में किया गया है। रामायण में भी इंद्रप्रस्थ का उल्लेख मिलता है। पुराणों में भी इंद्रप्रस्थ का वर्णन मिलता है।
पुराण
इंद्रप्रस्थ के अध्ययन के लिए पुराण भी महत्वपूर्ण स्रोत हैं। पुराणों में इंद्रप्रस्थ की स्थापना, विकास और पतन का वर्णन मिलता है। पुराणों में इंद्रप्रस्थ के राजाओं, रानियों, संतों और अन्य प्रमुख व्यक्तियों का भी वर्णन मिलता है।
इंद्रप्रस्थ के अध्ययन के लिए उपलब्ध स्रोतों का परीक्षण
इंद्रप्रस्थ के अध्ययन के लिए उपलब्ध विभिन्न प्रकार के स्रोतों का परीक्षण किया जाना चाहिए। इन स्रोतों की विश्वसनीयता और प्रामाणिकता की जांच की जानी चाहिए। इन स्रोतों के बीच की तुलना करके एक संतुलित और निष्पक्ष दृष्टिकोण प्राप्त किया जा सकता है।
इंद्रप्रस्थ के अध्ययन के लिए उपलब्ध स्रोतों का परीक्षण करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार किया जा सकता है:
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